
June 25 market forecast: भारतीय शेयर बाजार में बुधवार, 25 जून को मजबूती देखने को मिल सकती है। इसके पीछे दो प्रमुख पॉजिटिव फैक्टर माने जा रहे हैं, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी बाजारों में तेजी। इन दोनों संकेतों से निवेशकों की धारणा मजबूत हो सकती है और अगले सत्र में बाजार ऊपर खुल सकता है।
अमेरिकी बाजारों में जोरदार बढ़त
अमेरिकी शेयर बाजार में मंगलवार को बढ़त दर्ज की गई। अमेरिकी शेयर बाजार के तीनों प्रमुख सूचकांक- Dow Jones, S&P 500 और Nasdaq Composite में शुरुआती कारोबार के दौरान 1-1 फीसदी से अधिक का उछाल दर्ज किया गया।
विश्लेषकों के अनुसार, क्रूड में नरमी और मध्य-पूर्व तनाव का कमजोर असर निवेशकों को फिर से इक्विटी की ओर खींच रहा है। हाल के दिनों में जो पैसा बॉन्ड्स और सेफ एसेट्स में गया था, वह अब धीरे-धीरे जोखिम वाले एसेट्स में लौट रहा है। यह स्टॉक मार्केट के लिए पॉजिटिव फैक्टर है।
कच्चे तेल में 5% की गिरावट
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर से मध्य-पूर्व में ऑयल सप्लाई बाधित होने का खतरा कम हो गया है। इससे मंगलवार को तेल की कीमतें लगभग 5% गिरकर दो सप्ताह के निचले स्तर पर आ गईं। इसका भाव 68 डॉलर से नीचे आ गए। WTI क्रूड भी 66 डॉलर से नीचे फिसल गया।
जानकारों के मुताबिक एनर्जी मार्केट अब मान रहा है कि ईरान-इजरायल संकट या तो शांत हो गया है या उसका असर अब
क्रूड की कीमतों में गिरावट (24 जून 2025 को)
इंडिकेटर | लेवल | गिरावट |
Brent Crude | $67.82 | -5.10% |
WTI Crude | $65.95 | -4.90% |
मंगलवार को ऊपरी स्तर से फिसला बाजार
घरेलू बाजार मंगलवार के सत्र में अपने इंट्राडे हाई से नीचे फिसल गया था। इसकी मुख्य वजह मिडिल ईस्ट में संघर्ष दोबारा शुरू होने की अटकलें और कच्चे तेल की कीमतों में फिर से तेजी की आशंका थी। रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर के बाद ईरान और इजरायल पर इसके उल्लंघन का आरोप लगाया था।
हालांकि अब जिस तरह से क्रूड नरम हुआ है, वह बाजार के लिए सपोर्टिव माना जा रहा है। साथ ही, अमेरिकी शेयर बाजार में तेजी भी संकेत दे रही है कि निवेशक अब ईरान-इजरायल तनाव को ज्यादा खतरनाक नहीं मान रहे हैं।
भारत के लिए तेल कीमतें क्यों अहम हैं?
भारत अपनी कुल जरूरत का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में ग्लोबल मार्केट में तेल की कीमतों में तेजी का सीधा असर घरेलू महंगाई और चालू खाते के घाटे (Current Account Deficit) पर पड़ता है। तेल के दाम गिरने से महंगाई पर दबाव कम होता है और रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए भी माहौल थोड़ा बेहतर बनता है।
Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।