
अगर आप डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, गठिया या पेट की किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो अर्जुन की छाल का कोई तोड़ नहीं है। अर्जुन की छाल में फ्लेवोनोइड्स, टैनिन, ट्राइटरपेनोइड्स और सैपोनिन्स जैसे फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं जिसकी वजह से ये काफी फायदेमंद है।
अर्जुन की छाल को पानी में उबालकर पीने से हार्ट अटैक की दिक्कत कम होती है। इसमें पाया जाने वाला फाइटोकेमिकल्स और टैनिन कार्डियोप्रोटेक्टिव प्रभाव वाला माना जाता है। यह दिल की धमनियों को चौड़ा करने का काम करता है। साथ ही इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखने में मदद मिलती है और कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है।
अर्जुन के पेड़ के फायदे
पोषक तत्वों से भरपूर
अर्जुन में विटामिन C, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद
अर्जुन की छाल और दालचीनी दोनों में ट्राइटरपेनॉयड्स जैसे तत्व होते हैं, जो हृदय रोग के खतरे को कम करने में सहायक हैं। इनमें रक्तचाप नियंत्रित करने वाले गुण भी मौजूद हैं, इसलिए हाई बीपी के मरीजों को अर्जुन की छाल और दालचीनी का काढ़ा पीना लाभकारी माना जाता है।
बुखार और संक्रमण में राहत
बदलते मौसम या संक्रमण के कारण होने वाले बुखार में अर्जुन की छाल का काढ़ा पीने से आराम मिलता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
त्वचा रोगों में उपयोगी
कुष्ठ रोग जैसी गंभीर त्वचा समस्याओं में अर्जुन की छाल का सेवन और उसका लेप लाभकारी होता है। इसकी छाल का चूर्ण पानी या दूध के साथ लेने से भी फायदा मिलता है।
डायबिटीज में भी फायदेमंद
अर्जुन की छाल का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद तत्व किडनी और लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाते हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
अर्जुन की छाल का कैसे इस्तेमाल करें
अर्जुन की छाल और दालचीनी का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से पी सकते हैं। इसके साथ ही त्वचा रोगों में अर्जुन की छाल का चूर्ण या लेप लगाया जा सकता है। बुखार या संक्रमण में अर्जुन की छाल का काढ़ा लाभकारी है।
अर्जुन का पेड़ आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके नियमित और सही उपयोग से हृदय, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, त्वचा रोग और संक्रमण जैसी समस्याओं में प्राकृतिक राहत पाई जा सकती है। हालांकि, किसी भी औषधीय प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।