
Vodafone Idea Stock Price: टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) मुश्किलों से जूझ रही है। एजीआर बकाए में राहत के लिए गुहार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है, सरकार से मदद पर अभी कोई ठोस जानकारी नहीं है, हालांकि ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि कंपनी के लिए सरकार एक राहत पैकेज तैयार कर रही है। शेयर में कमजोरी बनी हुई है। BSE के डेटा के मुताबिक, यह एक महीने में लगभग 11 प्रतिशत की मार झेल चुका है। वहीं साल 2025 में अभी तक 18 प्रतिशत नीचे आया है। ऐसे में अगर किसी के पास अभी वोडाफोन आइडिया के शेयर मौजूद हों तो उसे आगे क्या करना चाहिए? क्या उसे और शेयर खरीदने चाहिए या फिर जो शेयर हैं, उन्हें ही होल्ड करना चाहिए। या कहीं ऐसा तो नहीं कि शेयर बेचना ही अच्छा ऑप्शन है?
CNBC-आवाज के ट्रेडर्स हॉटलाइन शो में दिल्ली के एक निवेशक ने वोडाफोन आइडिया में अपने निवेश को लेकर एक्सपर्ट से ऐसा ही सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि उनके पास 50,000 शेयर हैं, जो उन्होंने 6.50 रुपये प्रति शेयर के भाव पर खरीदे थे। अब उनके जैसे निवेशक के लिए क्या करना ठीक रहेगा।
एक्सपर्ट ने दिया यह सुझाव
निवेशक की क्वेरी पर मार्केट एक्सपर्ट मानस जायसवाल ने सलाह दी कि वोडाफोन आइडिया का चार्ट स्ट्रक्चर कमजोर है। अगर शेयर में छोटा-मोटा उछाल आए और थोड़ा मुनाफा मिले, तो शेयर बेचकर प्रॉफिट बुक करना ठीक रहेगा। 6.40 रुपये महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल है। स्टॉप लॉस 6.40 रुपये पर लगाने की सलाह है।अगर शेयर 6.40 रुपये से नीचे जाता है तो लॉन्ग पोजीशन से निकल जाना ठीक रहेगा ताकि बड़ा नुकसान न हो। ऊपर की ओर शेयर 7 रुपये तक जा सकता है और इस लेवल पर प्रॉफिट बुक करना ही ठीक रहेगा, यानि कि शेयर को बेचना। जहां तक शेयर में नई खरीदारी की बात है तो जायसवाल के मुताबिक ऐसा तभी करें, जब शेयर 8 रुपये से ऊपर 100-डे औसत को पार कर ले।
सरकार के पास कितनी हिस्सेदारी
इस साल की शुरुआत में वोडाफोन आइडिया ने 36,950 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाया के एवज में सरकारी को कंपनी में हिस्सेदारी दी थी। इससे सरकार 48.99% हिस्सेदारी के साथ कंपनी की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर बन गई। स्पेक्ट्रम बकाया में और राहत के लिए वोडाफोन आइडिया, सरकार से आस लगाए हुए है। लेकिन सरकार अपनी हिस्सेदारी इससे ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहती। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में भी इसके लिए गुहार लगाई थी क्योंकि कंपनी में हिस्सेदारी लेने के बाद सरकार के पास लिमिटेड अधिकार हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया समेत बाकी टेलिकॉम कंपनियों को भी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया में राहत देने से इनकार कर दिया।
कंपनी पर अभी भी सरकार का AGR और स्पेक्ट्रम के मामले में 1.95 लाख करोड़ रुपये का बकाया है। वोडाफोन आइडिया कह चुकी है कि सरकार के सपोर्ट के बिना वह वित्त वर्ष 2025-26 से आगे काम नहीं कर पाएगी। उसे दिवालियापन यानि इनसॉल्वेंसी के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
वर्तमान में, कंपनी को हर साल 18,064 करोड़ रुपये की 6 किश्तों में भुगतान करना है। 20 साल की अवधि में यह किश्त 6,000-8,500 करोड़ रुपये सालाना हो सकती है। अगर कंपनी को FY26 के अंत तक 18,064 करोड़ रुपये का पूरा भुगतान करना पड़ा, तो FY27 से पहले उसका कैश खत्म हो सकता है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर AGR पर कोई राहत नहीं मिलती है तो कंपनी के लिए बैंकों से कर्ज मिलना मुश्किल रहेगा।
वोडाफोन और आइडिया का 2018 में विलय हुआ था। उसके बाद यह कंपनी वोडाफोन आइडिया बन गई। विलय के बाद से यह कंपनी लगातार मुश्किलों में घिरी रही है।
शेयर में ब्रोकरेज को क्या दिख रही गुंजाइश
वोडाफोन आइडिया के शेयर पर कवरेज करने वाले 21 एनालिस्ट्स में से 11 ने ‘सेल’ रेटिंग दी है। 5 ने ‘बाय’ और 5 ने ‘होल्ड’ कॉल दी है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA ने वोडाफोन आइडिया के शेयर के लिए ‘आउटपरफॉर्म’ रेटिंग के साथ ₹8 का टारगेट प्राइस दिया है। Citi ने ‘बाय’ रेटिंग बरकरार रखते हुए ₹10 का टारगेट दिया है। यूबीएस ने ‘बाय’ रेटिंग के साथ ₹12.10, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने ‘होल्ड’ रेटिंग के साथ ₹7 और नुवामा ने ‘होल्ड’ कॉल के साथ ₹7.5 का टारगेट प्राइस दिया है। एचएसबीसी ने हाई वैल्यूएशन और हाई लेवरेज के चलते इसे फिर से रिड्यूस रेटिंग दी है और टारगेट प्राइस ₹6.50 से घटाकर ₹5.90 कर दिया है।
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