
भारत का रियल एस्टेट सेक्टर तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा है। अब प्रॉपर्टी मार्केट में महिलाएं प्रमुख निवेशक के रूप में उभर रही हैं। दिग्गज प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी कंपनी Anarock के एक हालिया सर्वे के अनुसार, 70% महिलाओं ने रियल एस्टेट को अपनी सबसे पसंदीदा इन्वेस्टमेंट कैटेगरी बताया है। इनमें से कई महिलाएं 90 लाख रुपये से ऊपर की प्रीमियम या लग्जरी होम प्रॉपर्टी पर विचार कर रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि इसमें से अधिकांश महिला निवेशक शेयर बाजार छोड़कर आई हैं। उन्होंने स्टॉक मार्केट की अस्थिरता के कारण इन्वेस्टमेंट घटा दिया है।
रियल एस्टेट से जुड़ी अच्छी बात यह है कि इसमें महिलाओं को कुछ अतिरिक्त छूट मिलती है, जो स्टॉक मार्केट में नहीं है। कोटक महिंद्रा बैंक में हाउसिंग फाइनेंस के बिजनेस हेड मनु सिंह का कहना है कि रियल एस्टेट में महिलाओं का निवेश हर नजरिये से फायदेमंद हैं। उनके लिए सरकार की कई योजनाएं और नीतियां हैं। साथ ही, बैंक भी महिला खरीदारों को कम ब्याज और रियायती शर्तों पर कर्ज देते हैं।
आइए जानते हैं कि महिलाएं रियल एस्टेट में क्यों निवेश बढ़ा रही हैं। साथ ही, महिला होमबायर्स और लोन लेने वालों के लिए किस तरह स्कीम और इंसेंटिव मौजूद हैं।
महिलाओं के स्वामित्व को बढ़ावा
जैसे-जैसे महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं, वे रियल एस्टेट में सक्रिय निवेश करने लगी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार और वित्तीय संस्थानों ने कई योजनाएं और पॉलिसियां शुरू की हैं, जो महिलाओं को घर खरीदने में मदद देती है। ये पहल न केवल होम लोन सुलभ बनाती हैं, बल्कि होम ओनरशिप को और अधिक किफायती और फायदेमंद बनाती हैं।
महिलाओं को ब्याज दर में छूट
अधिकतर वित्तीय संस्थान महिलाओं को होम लोन पर 0.05 से 0.10 प्रतिशत तक की ब्याज दर छूट देते हैं। यह भले ही मामूली लगे, लेकिन लंबे लोन टेन्योर में इससे बड़ी बचत हो सकती है। उदाहरण के तौर पर, 20 साल की अवधि में 50 लाख रुपये के होम लोन पर 0.10% की छूट से करीब 1 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है।
लोन पात्रता में बढ़त
महिलाओं को आमतौर पर होम लोन पात्रता अधिक मिलती है क्योंकि वे कम डिफॉल्ट रिस्क वाली मानी जाती हैं। इससे उन्हें बेहतर प्रॉपर्टी खरीदने में मदद मिलती है। इसके लिए उन्हें कम से कम 21 साल की उम्र, स्थिर आय और अच्छा क्रेडिट स्कोर होना जरूरी होता है।
स्टांप ड्यूटी में भी मिलती है छूट
कई राज्य सरकारें महिला खरीदारों को स्टांप ड्यूटी में 1-2% की छूट देती हैं, अगर प्रॉपर्टी महिला के नाम रजिस्टर्ड हो। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में महिलाओं को 1% और दिल्ली में 2% की छूट मिलती है। इससे प्रॉपर्टी खरीद की शुरुआती लागत घट जाती है।
टैक्स में फायदे
महिला उधारकर्ता टैक्स में भी कई छूट ले सकती हैं। आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कटौती (प्रिंसिपल अमाउंट पर) और धारा 24(b) के तहत 2 लाख रुपये तक की कटौती (ब्याज पर) प्राप्त की जा सकती है। अगर होम लोन पति-पत्नी के संयुक्त नाम पर है, तो दोनों ये कटौती अलग-अलग क्लेम कर सकते हैं।
पहली बार खरीदारों के लिए योजनाएं
सरकार ने पहली बार घर खरीदने वाली महिलाओं के लिए भी विशेष योजनाएं बनाई हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निम्न आय वर्ग और मध्यम आय वर्ग को 3% से 6.5% तक ब्याज पर सब्सिडी मिलती है। साथ ही, Affordable Housing Fund (AHF) जैसी योजनाएं महिलाओं को सस्ती दरों पर मकान खरीदने में मदद करती हैं।
इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए महिलाओं को पहचान पत्र, पते का प्रमाण, आय प्रमाण और प्रॉपर्टी दस्तावेज जैसे जरूरी कागजात जमा करने होते हैं। सही और अपडेटेड दस्तावेज होना लोन प्रोसेसिंग में देरी से बचाता है।