
जापान में शुक्रवार की सुबह एक ऐसी खबर ने सबको हिला दिया, जिसने पूरे देश की यादों में दहशत का मंजर फिर से ताजा कर दिया। सोशल मीडिया पर “ट्विटर किलर” के नाम से कुख्यात ताकाहिरो शिराइशी को फांसी दे दी गई। इस फांसी के साथ जापान में करीब तीन साल बाद किसी को मृत्युदंड दिया गया। शिराइशी ने 2017 में नौ लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतारा था। वह सोशल मीडिया पर ऐसे युवाओं को निशाना बनाता था, जो डिप्रेशन या आत्महत्या की बात कर रहे होते। उनका भरोसा जीतकर वह उन्हें अपने अपार्टमेंट बुलाता, जहां उनकी हत्या कर देता और शवों को टुकड़ों में काटकर फ्रिज और प्लास्टिक बॉक्स में भर देता।
शिराइशी ने अगस्त 2017 में कानेगावा प्रान्त के जामा शहर में एक अपार्टमेंट किराए पर लिया और वहीं से उसने अपना हैवानियत भरा खेल शुरू किया। उसने अपने ट्विटर/X अकाउंट पर लिखा था, “जो लोग सच में तकलीफ में हैं, मैं उनकी मदद करना चाहता हूं। कभी भी DM करें।” इस इमोशनल मैसेज के पीछे छिपा था एक राक्षस, जो उन लोगों की कमजोरी का फायदा उठाकर अपनी हवस और सनक को पूरा करता था।
हमदर्दी, रेप और हत्या
वह कहता था कि वह मरने की चाहत रखने वालों की मदद करेगा और कभी-कभी तो उनके साथ मरने की बात भी करता था। लेकिन हकीकत यह थी कि वह उन्हें बहला-फुसलाकर अपने फ्लैट में बुलाता, बलात्कार करता और फिर गला घोंटकर मार देता।
उसके शिकारों में 15 से 26 साल की उम्र के बीच की आठ महिलाएं और एक पुरुष शामिल थे। सभी की हत्या के बाद उसने उनके शवों को टुकड़ों में काटकर तीन कूलर और पांच बड़े प्लास्टिक स्टोरेज बॉक्स में छिपा दिया।
कुछ शवों के हिस्सों को कचरे में भी फेंक दिया गया, जिससे इलाके में बदबू फैल गई। पड़ोसियों को इस गंध से शक हुआ, लेकिन असली खुलासा तब हुआ जब एक 23 साल की लापता लड़की का भाई उसकी तलाश में खुद उतर आया। उसने एक महिला की मदद से शिराइशी को एक फर्जी मीटिंग के लिए फंसाया और फिर पुलिस को सूचना दी। जब पुलिस ने शिराइशी के दरवाजे पर दस्तक दी और लापता लड़की के बारे में पूछा, तो उसने सीधे फ्रीजर की ओर इशारा किया। जो तलाशी एक लड़की की तलाश में शुरू हुई थी, उसने नौ शवों की खौफनाक सच्चाई सामने ला दी।
अदालत के बाहर 400 से ज्यादा लोग जमा
पूछताछ में शिराइशी ने तुरंत अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसने कहा कि सभी शिकार उसे सोशल मीडिया के जरिए मिले थे और उसका मकसद केवल यौन संतुष्टि था। उसने कहा कि वह उनकी मानसिक स्थिति का फायदा उठाकर पहले विश्वास जीतता था और फिर अपने प्लान को अंजाम तक पहुंचा था। उसके वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि यह “सहमति से हत्या” थी, लेकिन खुद शिराइशी ने इस बात को नकारते हुए कहा कि उसने यह सब सिर्फ अपनी संतुष्टि के लिए किया।
दिसंबर 2020 में जब टोक्यो की अदालत ने शिराइशी को मौत की सजा सुनाई, तब अदालत के बाहर 400 से ज्यादा लोग जमा थे। यह जापान के इतिहास के सबसे भयावह अपराधों में से एक था, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। अब जब उसे फांसी दे दी गई है, तो यह सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि समाज का भी एक करारा जवाब है कि सोशल मीडिया की दुनिया में छिपे भेड़ियों से बचना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। शिराइशी का ट्विटर बायो तो मदद का वादा करता था, लेकिन उसके पीछे छिपा था मौत का खूनी खेल।