
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trupm) ने शुक्रवार को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि अमेरिका और भारत एक व्यापार समझौते (India-US Tarde Deal) को अंतिम रूप देने के बेहद करीब हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस बात की पुष्टि किया कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि अगले सप्ताह वाशिंगटन पहुंचेंगे ताकि दोनों देशों के बीच बातचीत हो सके। ट्रंप ने यह बयान जॉइंट बेस एंड्रयूज़ पर पत्रकारों से बात करते हुए दिया।
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के प्रतिनिधि अगले हफ्ते आ रहे हैं। हम भारत के साथ एक डील करने के बहुत करीब हैं।” हालांकि, ट्रंप ने यह भी साफ किया कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है या युद्ध जैसी स्थिति बनती है, तो अमेरिका इन व्यापार समझौतों में दिलचस्पी नहीं लेगा। उन्होंने दोहराया, “अगर दोनों देश युद्ध की कगार पर होते, तो मैं किसी के साथ भी डील नहीं करना चाहता।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’के तहत भारतीय सेना की ओर से जवाबी कार्रवाई के बाद क्षेत्रीय तनाव बढ़ा हुआ है। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
ट्रंप ने अपने प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने व्यापार कूटनीति के ज़रिए भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ट्रंप ने कहा, “हमने साफ कर दिया कि जो देश एक-दूसरे पर गोलीबारी कर रहे हैं और परमाणु हथियारों की धमकी दे रहे हैं, उनसे व्यापार नहीं हो सकता। उन्होंने इसे समझा और सहमत हुए, इसलिए हालात शांत हुए।”
इस बयान के बीच अमेरिका की व्यापार नीति में भी बदलाव देखा जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने ग्लोबल टैरिफ पॉलिसी में बदलाव करते हुए पाकिस्तान के निर्यात पर 29% तक टैरिफ लगाने की योजना बनाई है, क्योंकि पाकिस्तान का अमेरिका के साथ 3 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस है। वहीं भारत भी अगर अमेरिका के साथ जुलाई तक कोई समझौता नहीं कर पाता है, तो उसे भी 26% तक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है।
भारत की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में अमेरिका का दौरा किया ताकि व्यापार बातचीत को गति दी जा सके। वहीं, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 27 से 29 मई तक अमेरिका की यात्रा की और डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट क्रिस्टोफर लैंडाउ से मुलाकात की। भारतीय दूतावास ने इस मुलाकात को “अहम और पॉजिटिव शुरुआत” बताया।
इस बीच रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने 50 अरब डॉलर से अधिक के सरकारी खरीद बाजार को अमेरिकी कंपनियों के लिए खोलने पर विचार कर सकता है। इसे व्यापार समझौते की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।