
Income Tax: इनकम टैक्स से जुड़े कई शब्द जैसे—फाइनेंशियल ईयर, असेसमेंट ईयर, TDS, डिडक्शन, एक्सेम्प्शन आदिअक्सर सुनने में आते हैं, लेकिन आम लोग इनके बीच का फर्क ठीक से नहीं समझ पाते। सही टैक्स प्लानिंग और रिटर्न भरने के लिए इन शब्दों का मतलब जानना जरूरी है। ताकि, हर व्यक्ति बिना कंफ्यूजन के अपनी इनकम और टैक्स को समझ सके।
इनकम टैक्स से जुड़े कई शब्द सुनने में एक जैसे लगते हैं, लेकिन उनके मतलब अलग होते हैं। यहां हम कुछ ऐसे ही शब्दों को आसान भाषा में समझा रहे हैं ताकि आपको टैक्स समझने में कोई दिक्कत न हो।
1. फाइनेंशियल ईयर और असेसमेंट ईयर
फाइनेंशियल ईयर (FY): यह वह साल होता है जब आप कमाई करते हैं और टैक्स भरते हैं। यह हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है। जैसे अगर आपने 1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 के बीच कमाई की है, तो वह 2017-18 आपका फाइनेंशियल ईयर होगा।
असेसमेंट ईयर (AY): यह फाइनेंशियल ईयर के बाद वाला साल होता है, जिसमें आपकी इनकम की जांच (assessment) होती है और आईटीआर फाइल की जाती है। जैसे FY 2017-18 के लिए AY 2018-19 होगा।
2. ग्रॉस टोटल इनकम और टोटल इनकम
ग्रॉस टोटल इनकम: यह आपकी सभी कमाई का योग होता है। इसमें सैलरी, किराए से इनकम, बिजनेस या प्रोफेशन की इनकम, ब्याज या अन्य सोर्स से इनकम शामिल होती है।
टोटल इनकम (या टैक्सेबल इनकम): जब आप ग्रॉस टोटल इनकम में से धारा 80C से 80U तक के तहत मिलने वाली छूटों को घटा देते हैं, तो जो अंतिम इनकम बचती है, वही आपकी टोटल इनकम होती है, जिस पर टैक्स लगता है।
3. एडवांस टैक्स और सेल्फ-असेसमेंट टैक्स
एडवांस टैक्स: अगर आपकी साल की टैक्स देनदारी ₹10,000 रुपये से ज्यादा है (TDS काटने के बाद), तो आपको फाइनेंशियल ईयर में ही टैक्स किश्तों में देना होता है। तारीखें हैं – 15 सितंबर, 15 दिसंबर, और 15 मार्च। देर से पेमेंट करने पर 1% मंथली जुर्माना लगता है।
सेल्फ-असेसमेंट टैक्स: जब आप रिटर्न फाइल करने से पहले अपना टैक्स कैलकुलेट करते हैं और देखते हैं कि कुछ टैक्स बाकी है, तो आप उसे स्वयं चुकाते हैं। इसे असेसमेंट ईयर में रिटर्न फाइल करने से पहले भरना होता है।
4. टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) और टोटल टैक्स
TDS: जब आपकी कमाई पर पहले ही टैक्स काट लिया जाता है जैसे नौकरी की सैलरी से या बैंक ब्याज से, तो उसे TDS कहते हैं। अलग-अलग इनकम के स्त्रोतों पर कटौती की दर अलग होती है।
टोटल टैक्स: यह आपकी सारी कमाई पर लगने वाला कुल टैक्स होता है। इसमें वो टैक्स भी जुड़ता है जो TDS से कटा नहीं था। इस बाकी टैक्स को आप एडवांस टैक्स या सेल्फ-असेसमेंट टैक्स के रूप में चुकाते हैं।
5. एक्सेम्प्शन और डिडक्शन
एक्सेम्प्शन (छूट): यह आपकी किसी खास प्रकार की इनकम को टैक्स से बाहर करती है। जैसे HRA, LTA, या टैक्स-फ्री बॉन्ड्स से ब्याज। यह आमतौर पर Section 10 या 54 के तहत आती है।
डिडक्शन (कटौती): यह आपकी टोटल टैक्सेबल इनकम से कटौती होती है। जैसे 80C के तहत LIC, PPF में निवेश या 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस पर खर्च। इन सभी टैक्स शब्दों का अपना अलग महत्व है। अगर आप इनका सही मतलब जान लेंगे, तो टैक्स की प्लानिंग करना आसान हो जाएगा और आप अपने पैसे भी बचा सकेंगे।