
Thai Magur: भारत के कई तटीय और नदी क्षेत्रों में मछली चावल के साथ परोसा जाने वाला एक मुख्य भोजन है। लेकिन यह जरूरी है कि आप ऐसी मछली खाने के लिए चुनें जो फायदेमंद हो न की खतरनाक। दरअसल एक खास मछली ने हेल्थ और पर्यावरण से संबंधी चिंताएं पैदा कर दी हैं। इसे थाई मागुर या क्लैरियस गैरीपिनस के नाम से जाना जाता है। यह कैटफिश कभी देश भर के तालाबों और मछली बाजारों में खूब मिलती थी। लेकिन पर्यावरणीय चिंताओं और कैंसर से इसके संबंध की बढ़ती आशंकाओं के कारण इसे आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित कर दिया गया।
भारत में क्यों प्रतिबंधित है मागुर मछली?
वैज्ञानिक रूप से क्लैरियस गैरीपिनस के रूप में जानी जाने वाली थाई मागुर 3-5 फुट लंबी, हवा में सांस लेने वाली मछली है जो सूखी जमीन पर भी चल सकती है। साथ ही यह अपने कृत्रिम श्वसन प्रणाली (ARS) के कारण मिट्टी में भी जीवित रह सकती है। यह कैटफिश के समूह से संबंधित है। थाई मागुर कम लागत और मार्केट में अच्छी डिमांड के कारण काफी लोकप्रिय है। हालांकि पारिस्थितिक और हेल्थ संबंधी चिंताओं के कारण भारत में इसका प्रजनन और पालन साल 2000 से ही प्रतिबंधित है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने इस मछली की अत्यधिक शिकारी प्रकृति के कारण इसके प्रजनन पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे जलाशयों का पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित होता था। इसके अलावा इसे महत्वपूर्ण हेल्थ जोखिमों का कारण भी माना जाता है। यह मछली जूं का वाहक है, और रिसर्च में इसके सेवन से कैंसर होने का खतरा भी सामने आया है। सरकार ने इसकी फार्मिंग, बिक्री और खपत पर रोक लगा रखी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, थाई मागुर खाने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। भारत के बाहर से इंपोर्टेड विदेशी मछली न केवल मानव स्वास्थ्य को खतरे में डालती है बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को भी बाधित करती है। मत्स्य विभाग इस प्रजाति के जोखिमों, खासकर इसके कैंसरकारी गुणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
बहुत खतरनाक होती है थाई मागुर!
थाई मागुर एक मांसाहारी प्रजाति की मछली है। यह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य मछलियों को खतरे में डालती है। रिसर्च के अनुसार, भारत में देशी मछली प्रजातियों में 70% की गिरावट के लिए इसे जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिससे जलीय इकोसिस्टम तंत्र बुरी तरह प्रभावित होता है।
मागुर मछली पर प्रतिबंध के बावजूद इसका अभी भी अवैध रूप से उत्पादन और बिक्री हो रही है, जिससे उपभोक्ताओं में काफी चिंता है। मार्च 2024 में मत्स्य विभाग ने मध्य प्रदेश के सदर बाजार क्षेत्र से जब्त की गई इस प्रजाति की लगभग 6 क्विंटल मछलियों को नष्ट कर दिया। ऐसे ही साल 2021 में लुधियाना में प्रतिबंधित थाई मागुर मछली की खेती करने के लिए एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
किसी भी प्रकार के नुकसान से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप जिस मछली का सेवन कर रहे हैं, उसके बारे में जागरूक रहें और ऐसे विकल्प चुनें जो टिकाऊ स्रोतों से प्राप्त हों और टेस्टेड हों। एक्सपर्ट्स उपभोक्ताओं को थाई मागुर से बचने और इसके बजाय स्थानीय मछली का विकल्प चुनने की सलाह देते हैं।