
Trump Tarrif Deadline: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को स्पष्ट किया कि उनका रेसिप्रोकल टैरिफ को लागू करने के लिए तय डेडलाइन को आगे बढ़ाने का इरादा नहीं है। इसकी डेडलाइन 9 जुलाई 2025 को है। इसके बाद अमेरिका अपने ज्यादातर व्यापारिक साझीदारों से एक निश्चित टैरिफ वसूलेगा। हालांकि, ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो डेडलाइन को बढ़ाया जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय आया है, जब अमेरिका दर्जनों देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने में जुटा है। इसमें भारत भी शामिल है। ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिया था कि भारत के साथ जल्द ही बड़ा व्यापार समझौता हो सकता है। ट्रंप प्रशासन ने 9 जुलाई की डेडलाइन तय कर देशों पर दबाव बनाया है कि वे अमेरिका के साथ बेहतर व्यापार शर्तों पर समझौता करें। हालांकि, लचीलापन भी बरकरार रखा गया है।
‘शायद नहीं बढ़ानी पड़ेगी डेडलाइन’
फॉक्स न्यूज के ‘Sunday Morning Futures’ कार्यक्रम में दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मुझे डेडलाइन बढ़ानी पड़ेगी। लेकिन, अगर डेडलाइन बढ़ानी भी पड़ी, तो कोई बड़ी बात नहीं है।’ उन्होंने शुक्रवार को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में यह भी कहा, ‘मैं तो चाहूंगा कि डेडलाइन को और भी कम कर दूं और बस सभी देशों को लेटर भेज दूं- बधाई हो, अब आप 25% टैरिफ दे रहे हैं।’
डील में तेजी, लेकिन कई प्वाइंट अभी बाकी
व्हाइट हाउस के मुताबिक, अमेरिका फिलहाल 18 अहम व्यापारिक भागीदारों से बातचीत कर रहा है। ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने फॉक्स बिजनेस को दिए बयान में कहा, ‘हमसे कई देश अच्छे प्रस्तावों के साथ संपर्क कर रहे हैं, लेकिन सभी डील 9 जुलाई तक पूरी होंगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है।’
बेसेन्ट ने संकेत दिया कि अगर 10-12 बड़े समझौते समय पर फाइनल हो जाते हैं, तो अमेरिका लेबर डे (सितंबर) तक व्यापार बातचीत को समेट सकता है।
भारत समेत कुछ देशों से डील के करीब
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी संकेत दिए कि भारत उन देशों में शामिल है जिसके साथ डील लगभग तैयार है। पिछले सप्ताह भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने वॉशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों से उच्चस्तरीय बैठकें कीं। यह संकेत करता है कि अमेरिका-भारत व्यापार रिश्तों में निकट भविष्य में अहम बदलाव संभव हैं।
UK-चीन डील में भी अधूरे पहलू
हालांकि व्हाइट हाउस ने ब्रिटेन के साथ हुए समझौते को ‘व्यापक’ बताया है। लेकिन, सूत्रों के मुताबिक इसमें अभी कुछ अहम मुद्दों पर सहमति नहीं बनी है। जैसे कि जैसे डेटा ट्रांसफर और फार्मा उत्पादों पर टैक्स। इसी तरह, हाल में चीन से हुई डील में फेंटानिल जैसे मादक पदार्थों की तस्करी और अमेरिकी निर्यातकों की पहुंच जैसे विषयों पर स्पष्टता नहीं है।