
ITR Filing 2025: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया जोर पकड़ चुकी है। सैलरीड क्लास टैक्सपेयर्स को भी फॉर्म 16 मिल गया है और उनका रिटर्न भरने का प्रोसेस चल रहा है। यह दस्तावेज न सिर्फ नौकरीपेशा करदाता की इनकम और TDS का प्रमाण होता है, बल्कि इसके आधार पर आप टैक्स डिडक्शन और रिफंड का दावा भी करते हैं।
टैक्स एक्सपर्ट का मानना है कि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले फॉर्म 16 को सावधानी से जांचना जरूरी है, ताकि कोई त्रुटि या मिसमैच टैक्स नोटिस या जुर्माने की वजह न बन जाए। आइए जानते हैं कि फॉर्म 16 क्या होता है और रिटर्न फाइल करने से पहले किन बातों पर गौर करना चाहिए।
क्या होता है फॉर्म 16 और क्यों है जरूरी?
फॉर्म 16 आपके नियोक्ता द्वारा जारी किया गया TDS सर्टिफिकेट होता है। इसमें आपकी सालभर की सैलरी और उस पर काटे गए टैक्स की पूरी जानकारी होती है। यह दो हिस्सों में होता है- Part A, जिसमें टीडीएस का ब्योरा होता है और Part B, जिसमें सैलरी का ब्रेकअप और कटौतियों की जानकारी दी जाती है। इन्हीं के आधार पर रिटर्न भरा जाता है।
फॉर्म 16 से जुड़ी ये 6 बातें जरूर जांचें
1. PAN, सैलरी और TDS की जानकारी मिलान करें (Part A):
आपका नाम, पैन नंबर, कुल सैलरी और काटा गया टैक्स सही से दर्ज है या नहीं, इसकी पुष्टि करें। साथ ही, नियोक्ता का TAN (Tax Deduction and Collection Account Number) भी सही हो।
2. सैलरी स्ट्रक्चर और डिडक्शन देखें (Part B):
आपको कौन-कौन से अलाउंस मिले हैं (जैसे HRA, ट्रैवल अलाउंस) और कौन-कौन सी धारा के तहत कटौतियां हुई हैं (जैसे 80C, 80CCD)। यह मिलान जरूरी है क्योंकि यहीं से आपकी टैक्स देनदारी तय होती है।
3. कुल टैक्स देनदारी की समीक्षा करें:
डिडक्शन के बाद आपकी अंतिम टैक्स लायबिलिटी क्या बताई गई है, उसे भी ध्यान से देखें। कहीं कोई टैक्स छूट मिस तो हो नहीं गई, इस बात का खास ध्यान रखें। ऐसा होने की सूरत में आपकी टैक्स देनदारी बढ़ सकती है।
4. फॉर्म 26AS से तुलना करें:
इनकम टैक्स पोर्टल से Form 26AS डाउनलोड करें और उसमें दर्ज टीडीएस से फॉर्म 16 का मिलान करें। दोनों में मेल नहीं होने पर रिफंड या टैक्स डिफरेंस जैसी दिक्कत आ सकती है। यह बाद में टैक्स नोटिस की वजह भी बन सकती है।
5. कोई गलती हो तो तुरंत नियोक्ता से संपर्क करें:
अगर फॉर्म 16 में कोई भी जानकारी गलत है, तो नियोक्ता से फौरन संशोधन की मांग करें। उन्हें सुधार के लिए नया टीडीएस रिटर्न फाइल करना होगा। अगर ऐसा नहीं करेंगे, तो बाद में टैक्स विभाग जु्र्माना भी लगा सकता है।
6. ITR भरने में जल्दबाजी न करें:
सभी जानकारी का सत्यापन करने के बाद ही ITR भरें। सही डाटा के आधार पर फाइल किया गया रिटर्न न सिर्फ टैक्स की सटीक गणना करता है, बल्कि रिफंड को भी जल्दी प्रोसेस कराता है।