
इस बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए टैक्सपेयर्स को ज्यादा समय मिला है। इसके बावजूद एक करोड़ टैक्सपेयर्स ने रिटर्न फाइल कर दिए हैं। कई टैक्सपेयर्स को ऐसा लगता है कि रिटर्न फाइल करने पर उनका रिफंड जल्द उनके सेविंग्स बैंक अकाउंट में आ जाएगा। हालांकि, इस बारे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन माना जाता है कि जल्द इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के कई फायदे हैं।
जल्द रिटर्न फाइल करने के कई फायदें
एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेडलाइन से काफी पहले रिटर्न फाइल करने का पहला फायदा यह है कि अगर रिटर्न में किसी तरह की गलती नहीं है तो उसकी प्रोसेसिंग जल्द हो जाएगी। फिर रिफंड जल्द बैंक अकाउंट में आ जाएगा। फिनटेक फर्म वनबैंक के फाउंडर विभोर गोयल ने कहा, “मई और जून में अगर रिटर्न डेटा को मैच कराने के बाद सही तरीके फाइल किया जाता है तो 2 से 4 हफ्तों में उसकी प्रोसेसिंग हो जाती है। इसके उलट जो टैक्सपेयर्स डेडलाइन के करीब रिटर्न फाइल करते हैं, उनके रिटर्न की प्रोसेसिंग में काफी समय लगता है।”
रिटर्न में गलती तो जल्द फाइलिंग का फायदा नहीं
गोयल ने कहा कि यह सही है कि जल्द रिटर्न फाइल करने से उसकी प्रोसेसिंग जल्द होती है। लेकिन, सिर्फ जल्द रिटर्न फाइल करना पर्याप्त नहीं है। अगर आपके रिटर्न में किसी तरह की गलती पायी जाती है तो फिर दिक्कत हो सकती है। अगर फॉर्म 26एएस में 1,200 रुपये की इंटरेस्ट इनकम दिखाई गई है और रिटर्न में वह इनकम शामिल नहीं है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट रिटर्न को रिव्यू के लिए सेलेक्ट कर सकता है। इससे रिफंड आने में 60-90 दिन की देर हो सकती है।
रिटर्न जिस क्रम में फाइल होते हैं उसी क्रम में प्रोसेसिंग
चार्टर्ड अकाउंटेंट शंकर कुमार ने कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आईटीआर के वेरिफिकेशन के बाद रिफंड की प्रोसेसिंग करता है। प्रोसेसिंग में लगने वाला समय टैक्सपेयर्स के लिए अलग-अलग हो सकता है। यह सही है कि जल्द रिटर्न फाइल कर देने से रिटर्न में किसी डेटा के मैच नहीं करने और उसके लिए नोटिस मिलने पर उसका जवाब देने के लिए काफी समय मिल जाता है। चार्टर्ड अकाउंटेंटे नियति शाह ने कहा कि आम तौर पर रिटर्न जिस क्रम में फाइल किए जाते हैं, उनकी प्रोसेसिंग उसी क्रम में होती है।