
ईरान-इजरायल की लड़ाई बढ़ने के बावजूद सोने में उतनी तेजी नहीं दिखी है, जितनी उम्मीद की गई थी। सोने की कीमतें 3,400 डॉलर के करीब बनी हुई हैं। यह 3,500 डॉलर की रिकॉर्ड ऊंची कीमत से कम है। सोने का भाव अप्रैल में इस लेवल पर पहुंच गया था। उसके बाद से कीमतों पर दबाव दिखा है। उधर, सिटी रिसर्च ने सोने की कीमतें गिरकर 3,000 डॉलर से नीचे आ जाने का अनुमान जताया है। सवाल है कि क्या सोने में तेजी का दौर खत्म हो गया है?
इन वजहों से गोल्ड में आ सकता है करेक्शन
सिटी रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, Gold में पिछले कई महीनों से जारी तेजी अब खत्म हो गई है। एनालिस्ट्स ने कहा है, “हमें रिसर्च से पता चला है कि गोल्ड अगले साल की दूसरी छमाही तक गिरकर 2,500-2,600 डॉलर प्रति औंस पर आ जाएगा।” सिटी के मुताबिक, सोने की चमक फीकी पड़ने की कई वजहें हैं। निवेश के लिए सोने में डिमांड कमजोर है। ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ की अच्छी संभावना दिख रही है। उधर, अमेरिका में फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट्स में कमी कर सकता है। इससे सोने की कीमतों में गिरावट आएगी।
सोने में केंद्रीय बैंकों का निवेश जारी रहेगा
उधर, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंक अगले 12 महीनों में सोने में निवेश बढ़ाने जा रहे हैं। ब्लूमबर्ग ने एक सर्वे के आधार पर यह बताया है। इस सर्वे में 72 एक्सपर्ट्स शामिल हुए। इनमें से 43 फीसदी का कहना था कि गोल्ड का रिजर्व बढ़ने जा रहा है। कई देशों के केंद्रीय बैंक काफी समय से गोल्ड में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। पिछले 1-2 सालों में सोने में कीमतों में आए उछाल में केंद्रीय बैंकों के गोल्ड में निवेश का बड़ा हाथ है।
18 जून को गोल्ड की कीमतों पर दबाव
18 जून को गोल्ड की कीमतों पर दबाव देखने को मिला। इंडिया में गोल्ड फ्यूचर्स लाल निशान में दिख रहा था। 9:30 बजे यह 141 रुपये यानी 0.14 फीसदी गिरकर 99,425 डॉलर प्रति 10 ग्राम चल रहा था। उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड 3,375 डॉलर प्रति औंस था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स की नजरें ईरान-इजरायल युद्ध पर लगी हैं। इसके अलावा 18 जून को भारतीय समय के अनुसार देर रात अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व अपनी मॉनेटरी पॉलिसी का एलान करेगा। इस पर भी इनवेस्टर्स की नजरें लगी हैं।
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आपको क्या करना चाहिए?
फाइनेंशियल एडवाइजर्स का कहना है कि रिटेल इनवेस्टर्स को गोल्ड में उतारचढ़ाव की जगह अपने पोर्टफोलियो में इसे शामिल करने पर फोकस करना चाहिए। इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी 10-15 फीसदी होनी चाहिए। अगर आपके इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी इससे कम है तो आप इसे बढ़ा सकते हैं। हर गिरावट पर गोल्ड में थोड़ा निवेश किया जा सकता है। गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड की स्कीम में भी निवेश किया जा सकता है। SIP के जरिए भी हर महीने एक फिक्स्ड अमाउंट निवेश किया जा सकता है।