
क्या आप अपनी हेल्थ पॉलिसी से संतुष्ट नहीं हैं? और डर है कि इसे पोर्ट कराने पर मौजूदा पॉलिसी पर मिल रहे सभी बेनेफिट्स खत्म हो जाएंगे? तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। आईआरडीए ने इसकी इजाजत दी है। अगर कोई ग्राहक अपनी हेल्थ पॉलिसी से नाखुश है तो वह अपनी पॉलिसी को पोर्ट करा सकता है। इससे आपकी मौजूदा पॉलिसी के बेनेफिट्स खत्म नहीं होंगे। दूसरे इंश्योरेंस कंपनी की हेल्थ पॉलिसी के साथ आपको सभी पुराने बेनेफिट्स मिलते रहंगे। इनमें वेटिंग पीरियड और नो-क्लेम बोनस जैसे फायदे भी शामिल होंगे।
पुरानी पॉलिसी के बेनेफिट्स मिलते रहेंगे
जब आप एक कंपनी से दूसरी इंश्योरेंस कंपनी (Insurance Company) में अपनी हेल्थ पॉलिसी (Health Policy) पोर्ट कराते हैं तो पिछले कई सालों से जो फायदे आपकी पॉलिसी के साथ जुड़ते गए हैं, उन पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा। जैसे मान लीजिए आपकी पिछली पॉलिसी में 4 साल का वेटिंग पीरियड था और आपने 2 साल का वेटिंग पीरियड पूरा कर लिया है तो नई पॉलिसी में आपका वेटिंग पीरियड सिर्फ 2 साल होगा। उसके बाद आपको सभी फायदे मिलने शुरू हो जाएंगे।
नए बेनेफिट्स के साथ नई बीमा कंपनी की शर्त जुड़ी होगी
लेकिन, अगर आप नई पॉलिसी में सम-एश्योर्ड (बीमा का अमाउंट) बढ़ाते हैं या नई पॉलिसी में नए बेनेफिट जोड़ते हैं तो बीमा कंपनी बढ़े हुए सम-एश्योर्ड या नए बेनेफिट्स के लिए वेटिंग पीरियड की शर्त लागू कर सकती है। इसलिए हेल्थ पॉलिसी पोर्ट कराने से पहले इससे जुड़े नियम एवं शर्तों को ठीक तरह से जान लेना जरूरी है।
कम से कम 45 दिन पहले अप्लाई करना होगा
अगर आप हेल्थ पॉलिसी पोर्ट कराना चाहते हैं तो उसकी एक्सपायरी से कम से कम 45 दिन पहले इसके लिए प्रोसेस शुरू कर देना होगा। लेकिन, 60 दिन से पहले आप यह प्रोसेस शुरू नहीं कर सकते। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि आपको अपनी मौजूदा पॉलिसी को तब तक एक्विट रखना होगा जब तक इंश्योरेंस कंपनी आपकी नई हेल्थ पॉलिसी के रिक्वेस्ट को एप्रूव नहीं कर देती है। कवर के बीच एक दिन का भी गैप नहीं होना चाहिए।
नई कंपनी की पॉलिसी से जुड़ी जरूरी बातें जान लें
आपको अपनी पॉलिसी किसी दूसरी बीमा कंपनी में पोर्ट कराने से पहले नई इंश्योरेंस कंपनी के प्रीमियम, कवरेज, हॉसिप्टल नेटवर्क, क्लेम सेलमेंट रेशियो और कस्टमर सर्विस रेटिंग्स को ठीक तरह से समझ लेना होगा। सभी पॉलिसी एक बराबर नहीं होती हैं। अगर पॉलिसी का प्रीमियम कम है तो उसके बेनेफिट्स, सब-लिमिट्स और को-पेमेंट पर्सेंटेज भी कम हो सकते हैं।
नया प्रपोजल फॉर्म भरना होगा
जब अपनी पॉलिसी दूसरी कंपनी के पास ट्रांसफर कराते हैं तो आपको नए प्रपोजल फॉर्म भरना होता है। नई कंपनी आपका मेडिकल चेक-अप करा सकती है। अगर आपको पहले से कोई हेल्थ की प्रॉब्लम है तो उसे नई कंपनी को बता देना जरूरी है। इसकी वजह यह है कि अगर क्लेम के वक्त कंपनी को पता लगता है कि ग्राहक ने हेल्थ से जुड़ी कोई बात छुपायी है तो वह क्लेम रिजेक्ट कर सकती है।
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15 दिन के अंदर प्रोसेस पूरा होता है
हेल्थ पॉलिसी पोर्ट होने के बाद भी आपको अपनी पुरानी पॉलिसी के रिकॉर्ड, रिन्यूएल नोटिसेज क्लेम रिकॉर्ड्स रखने चाहिए। आईआरडीएआई का नियम है कि अप्लिकेशन देने की तारीख से 15 दिन के अंदर पॉलिसी पोर्ट कराने का प्रोसेस पूरा हो जाना चाहिए। हेल्थ पॉलिसी पोर्ट कराना समझदारी है, लेकिन यह काम सावधानी से करना जरूरी है।