
Iran-Israel News: इजरायल ने हवाई हमला कर ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों को बड़ी क्षति पहुंचाई है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने बुधवार (18 जून) को कहा कि ईरान में दो परमाणु सेंट्रीफ्यूज (यूरेनियम को शुद्ध करने वाली मशीनें) केंद्रों पर इजरायल ने हमला किया है। बताया जा रहा है कि इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने इस हमले में 50 से अधिक लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया। ये ठिकानें बहुत ज्यादा मजबूत और ज्यादातर जमीन की गहराई में बंकर में बने हुए हैं। पिछले हफ्ते इजरायल ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों नतांज, इस्फहान और फोर्डो को निशाना बनाया था। इसमें कई ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मारे गए थे।
नतांज और फोर्डो वे ठिकाने हैं जहां पर ईरान यूरेनियम तैयार करता है। जबकि इस्फहान कच्चा माल उपलब्ध कराता है। इसलिए इन ठिकानों को कोई भी क्षति ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को सीमित कर देगी। IDF ने एक बयान में कहा कि करज में दो इमारतें नष्ट हो गईं, जहां विभिन्न परमाणु घटकों का निर्माण किया जाता था। इससे पहले 18 जून की सुबह इज़रायल रक्षा बल (IDF) ने कहा था कि 50 से अधिक इज़रायल वायु सेना (IAF) के लड़ाकू विमानों ने तेहरान क्षेत्र में प्रमुख सेंट्रीफ्यूज उत्पादन स्थल और कई हथियार निर्माण सुविधाओं को निशाना बनाया।
परमाणु हथियार पर इजरायल की नजर
भारत में इजरायल के राजदूत रुवेन अजार ने मंगलवार को कहा कि दोनों देशों के मध्य बढ़ते तनाव के बीच इजरायली सेना ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार प्रयास करती रहेगी। एक प्रेस वार्ता में उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर होगा कि शत्रुता को रोकने के लिए कोई कूटनीतिक समाधान निकाला जा सके। राजदूत ने कहा कि इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और मिसाइल क्षमताओं को गंभीर रूप से कमजोर करने के लिए सैन्य कार्रवाई की तथा दावा किया कि यह उनके देश के लिए खतरा था।
जब उनसे टकराव के भविष्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने पत्रकारों से कहा, “ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करने के लिए हम अपनी क्षमता के अनुसार प्रयास करते रहेंगे।” अमेरिका से अपेक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर अजार ने कहा कि वाशिंगटन और इजरायल पूरी तरह से एकमत हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि इजरायल की कार्रवाई का अमेरिका समर्थन करेगा। अजार ने कहा कि अमेरिका की सैन्य और राजनीतिक सहायता के लिए इजरायल आभारी है।
परमाणु कार्यक्रम में क्यों है इजरायल की नजर?
सूत्रों ने बताया कि इजरायल ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि ईरान ने परमाणु कार्यक्रम के भीतर शस्त्रीकरण गतिविधि को फिर से शुरू कर दिया है। कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है। अमेरिका और अन्य देशों ने अनुमान है कि ईरान ने 2003 से परमाणु हथियार बनाने के लिए कोई संगठित प्रयास नहीं किया है। इजरायल के राजदूत की ये प्रेस वार्ता ऐसे समय में हुई जब कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन जारी थी।
‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत इजरायल ने ईरान के क्षेत्र में कई हमले किए। ईरान ने भी शुक्रवार को इजरायल को चेतावनी देने के बाद जवाबी कार्रवाई की। इस सैन्य झड़प में अपने देश में हताहतों के बारे में पूछे जाने पर अजार ने कहा कि अब तक इजरायल में 24 लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं।
ट्रंप ने ईरान को दी धमकी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार को अचानक जी-7 से चले गए। वह एक दिन पहले ही रवाना हो गए क्योंकि इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष तेज हो गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति ने यह भी घोषणा की है कि ईरान को तुरंत खाली करा देना चाहिए। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते।
इजरायल और ईरान के बीच हाल के घटनाक्रमों पर जी-7 नेताओं के बयान में कहा गया कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। हम इजरायल की सुरक्षा के लिए अपना समर्थन दोहराते हैं। उन्होंने कहा, “हम लगातार स्पष्ट रहे हैं कि ईरान के पास कभी भी परमाणु हथियार नहीं हो सकता है।” उन्होंने आग्रह किया कि ईरानी संकट के समाधान से पश्चिम एशिया में शत्रुता में व्यापक कमी आएगी, जिसमें गाजा में युद्ध विराम भी शामिल है।
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भारत ने शुक्रवार को कहा था कि वह ईरान और इजरायल के बीच हाल के घटनाक्रमों से बेहद चिंता में है। भारत ने कहा कि वर्तमान में उभरती स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है। भारत ने दोनों देशों से किसी भी तरह के आक्रामक कदम से बचने का आग्रह किया था।