
ITR Filing 2025: अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की तैयारी कर रहे हैं, तो रिटर्न भरने से पहले टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल करना आपकी टैक्स प्लानिंग को काफी आसान बना सकता है। आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध यह टूल आपको यह तय करने में मदद करता है कि पुराना टैक्स सिस्टम आपके लिए बेहतर रहेगा या नया, साथ ही आपकी टैक्स देनदारी कितनी बन रही है।
कहां मिलेगा टैक्स कैलकुलेटर
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पोर्टल पर लॉग इन करने के बाद “Tax Tools” सेक्शन में जाएं। यहां दो कैलकुलेटर उपलब्ध हैं: एक सामान्य टैक्स कैलकुलेटर और दूसरा Old vs New Tax Regime कैलकुलेटर। इन टूल्स का इस्तेमाल कर आप यह जान सकते हैं कि आपकी टैक्स देनदारी कितनी बनेगी और किस सिस्टम में कितना लाभ मिलेगा।
ऐसे करें टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल
टैक्स कैलकुलेटर पर क्लिक करने के बाद कुछ जरूरी जानकारी भरनी होती है, जैसे असेसमेंट ईयर (2026-27), करदाता की श्रेणी (जैसे व्यक्ति, HUF, कंपनी आदि), उम्र की श्रेणी (60 साल से कम, 60-80 या 80 से ऊपर) और रेजिडेंशियल स्टेटस। इसके बाद अपनी टैक्सेबल इनकम दर्ज करें, और कैलकुलेटर खुद-ब-खुद आपकी टैक्स देनदारी, सरचार्ज और सेस जोड़कर कुल रकम दिखा देगा।
इन बातों पर ध्यान देना जरूरी
FY 2024-25 में सेक्शन 87A के तहत ₹5 लाख तक की इनकम पर पुरानी टैक्स प्रणाली में कोई टैक्स नहीं लगता।
- नए टैक्स सिस्टम में यह छूट सीमा ₹7 लाख है।
- बजट 2025 में नई टैक्स व्यवस्था में छूट की सीमा बढ़ाकर ₹12 लाख की गई है।
- टैक्स कैलकुलेटर सरचार्ज और 4% हेल्थ+एजुकेशन सेस भी जोड़ता है।
- आखिरी स्क्रीन पर कुल टैक्स लायबिलिटी दिखती है।
पुराना या नया टैक्स सिस्टम: कौन बेहतर है?
टैक्स कैलकुलेटर का दूसरा विकल्प यह तुलना करने में मदद करता है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था आपके लिए फायदेमंद है या नई। नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स स्लैब भले ही कम हैं, लेकिन आप किसी भी निवेश या खर्च पर टैक्स छूट नहीं ले सकते।
दूसरी ओर, पुराने सिस्टम में टैक्स रेट ज्यादा हैं लेकिन HRA, 80C, 80D जैसे सेक्शन में कटौती का लाभ मिलता है। टैक्सपेयर्स को अपनी आय और निवेश प्रोफाइल के आधार पर तय करना चाहिए कि कौन-सी व्यवस्था उनके लिए बेहतर है।
सही कैलकुलेशन से रिटर्न में नहीं होगी देरी
ITR भरने से पहले टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर लेने से न केवल आपकी कैलकुलेशन सही होगी, बल्कि आपको रिफंड में देरी या टैक्स डिफॉल्ट जैसे जोखिमों से भी बचाव मिलेगा। यह टूल खासतौर पर उन करदाताओं के लिए अहम है जो साल भर में निवेश, HRA या अन्य डिडक्शन क्लेम करना चाहते हैं।