
Mango Man of India: कालीमउल्लाह खान सातवीं क्लास में फेल हो गए फिर स्कूल छोड़ दिया और पूरे दिन अपने आम के बाग में घूमते हुए बिताते थे। उनका घर उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद में है। 84 साल के कालीमउल्लाह खान पद्म श्री से सम्मानित भी हैं। उन्हें ‘इंडिया के मैंगो मैन’ के रूप में जाना जाता हैं। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है और उनका आम का बाग एक लिविंग लैब बन गया है। दरअसल उनका बाग एक ऐसे पेड़ का घर है जिस पर 350 से ज्यादा अलग-अलग किस्म के आम उगते है।
कालीमउल्लाह द बेटर इंडिया को बताते हैं कि, ‘आज मेरी उम्र हो गई है, इसलिए शायद ज्यादा बात करने की ताकत नहीं है, लेकिन जितना हो सकेगा, मैं जरूर बताऊंगा। मेरे पेड़ के बारे में बहुत कुछ कहने को है। इसे बहुत प्यार से सींचा गया है और इसमें मेरे पूरे जीवन की यादें बसी हैं।’ उन्होंने कहा, ‘लोगों को मेरे बाग में आकर इस पेड़ को देखना चाहिए और आमों की किस्मों को समझना चाहिए, जिनमें से हर एक की अपनी अलग खासियत है।’
पहले प्रयास में मिली थी निराशा
उन्होंने बताया कि साल 1957 में लगभग अचानक आए एक विचार से प्रेरित होकर, उन्होंने कुछ ऐसा करने का फैसला किया जिसके बारे में उनके परिवार में किसी ने सोचा भी नहीं था। उन्होंने एक ऐसा पेड़ लगाया जिस पर सात अलग-अलग किस्म के आम उगने थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उस साल भारी बाढ़ में वह पेड़ नष्ट हो गया। इस झटके के बावजूद उन्होंने ग्राफ्टिंग के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया और इस पर गहन शोध किया। 1987 तक उन्होंने 22 एकड़ के विशाल भूखंड पर एक पेड़ पर अलग-अलग आम की किस्मों को ग्राफ्ट करना शुरू कर दिया। यह नवाचार की एक लंबी यात्रा की शुरुआत थी। जैसे-जैसे साल बीतते गए कालीमउल्लाह ने आम के पेड़ को लेकर नए नए प्रयोग करते रहे। उनके अथक जुनून ने कुछ असाधारण कर दिखाया। उनके बाग में एक ऐसा ऐसा पेड़ है जिस पर आज 300 से ज्यादा किस्में हैं, जिनमें से हर एक का स्वाद, रंग और खुशबू अलग है।
कैसे बनाया 350 किस्म वाला अनोखा पेड़?
कालीमउल्लाह खान के ग्राफ्टिंग के अनोखे तरीके ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। दरअसल यह एक प्राचीन तकनीक है जिसमें एक पेड़ की शाखा को दूसरे पेड़ के रूटस्टॉक से जोड़ा जाता है, सदियों से खेती में इस्तेमाल होती रही है। अपने शोध और वर्षों की कड़ी मेहनत से, उन्होंने एक ऐसा आम का पेड़ बनाया है जिस पर 350 अलग-अलग किस्म के आम लगते हैं।
कालीमउल्लाह बताते हैं, ‘ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया एक कला है। यह एक पहेली की तरह है। आपको सही किस्मों का चयन करने, उन्हें सावधानीपूर्वक जोड़ने और कई वर्षों तक उनकी देखभाल करने की आवश्यकता है, तभी आप अपनी मेहनत का फल देख पाएंगे।’ समय के साथ, ग्राफ्ट आपस में जुड़ जाते हैं, जिससे किस्में एक पेड़ के रूप में विकसित हो पाती हैं। नजीमुल्लाह बताते हैं, ‘यह सिर्फ अलग-अलग किस्मों को जोड़ने के बारे में नहीं है। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि वे संगत हों, और प्रत्येक किस्म को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले।’ इसका नतीजा एक ऐसा पेड़ है जो एक ही जड़ प्रणाली से अनोखे स्वाद, आकार और रंग के आम पैदा करता है।
पेड़ पर लगते है अमिताभ बच्चन’ और ‘सचिन तेंदुलकर’ आम
पेड़ पर कुछ किस्मों में अल्फांसो, लंगड़ा, केसर, दशहरी और चौसा शामिल हैं। यहां तक कि हाइब्रिड किस्में भी हैं जिन्हें पिता-पुत्र की जोड़ी ने विकसित किया है, जैसे कि ‘दशहरी कलीम’, दशहरी और सिंदुरी किस्मों का एक संकर, और महान क्रिकेटर के नाम पर ‘सचिन तेंदुलकर’ आम। पेड़ पर हर आम की किस्म की अपनी अलग विशेषताएं हैं, आकार और रंग से लेकर स्वाद और बनावट तक। कुछ छोटे और खट्टे होते हैं, तो कुछ बड़े और मीठे। ‘अमिताभ बच्चन’ नामक एक लंबा, तोतापुरी आम और ‘नरेंद्र मोदी’ नामक एक आम भी है, जो पकने से पहले नारंगी रंग का हो जाता है।
84 वर्षीय बागवानी विशेषज्ञ कालीमउल्लाह बताते हैं, ‘मैंने इन आमों का नाम उन लोगों के नाम पर रखा है जिन्होंने मुझे प्रेरित किया है या जो किसी न किसी तरह से महत्वपूर्ण हैं।’ यहां तक कि उनकी पसंदीदा किस्में, ‘अनारकली’ और ‘ऐश्वर्या राय’, भी अनोखे संकर हैं जिन्हें प्रसिद्ध अल्फांसो आम पर ग्राफ्ट किया गया है, जो मदर प्लांट के रूप में काम करता है।