
Stock Market: भारतीय शेयर बाजार में 23 जून को गिरावट के साथ शुरुआत होने की आशंका है। अमेरिका ने ईरान की परमाणु साइट्स पर एयरस्ट्राइक की है, जिसके बाद मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव तेज हो गया है। इससे ग्लोबल इन्वेस्टर्स में ‘रिस्क-ऑफ’ सेंटिमेंट बढ़ा है, जो दुनियाभर के बाजारों पर दबाव डाल सकता है।
निफ्टी-सेंसेक्स में 1% तक गिरावट की आशंका
एनालिस्ट्स का मानना है कि निफ्टी और सेंसेक्स में 0.7% से 1% तक की गिरावट हो सकती है। खासतौर पर ऑयल-सेंसिटिव सेक्टर्स जैसे एयरलाइंस, पेंट्स और FMCG सेक्टर पर ज्यादा असर पड़ सकता है।
20 जून को बाजार जोरदार बढ़त के साथ बंद हुआ था। सेंसेक्स में 1.29% या 1,046.30 अंकों की तेजी रही और यह 82,408.17 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 50 इंडेक्स में 1.3% या 320 अंकों की तेजी रही और इसने 25,112.40 के लेवल पर क्लोजिंग दी।
निफ्टी के लिए कौन सा लेवल होगा अहम?
एक्सिस सिक्योरिटीज के अक्षय चिंचालकर ने कहा, “जब तक ईरान की प्रतिक्रिया स्पष्ट नहीं होती, बाजार में रिस्क-ऑफ सेंटिमेंट बना रहेगा। अगर निफ्टी 25,243 के ऊपर नहीं निकलता है, तो यह नीचे की ओर जा सकता है। 24,462 के नीचे गिरावट आने पर निफ्टी 23,700 तक फिसल सकता है।”
उन्होंने कहा कि मोमेंटम इंडिकेटर ओवरबॉट नहीं हैं, इसलिए बाजार की चाल पूरी तरह हेडलाइंस पर निर्भर करेगी।
क्रूड कीमतों पर असर और भारत की चिंता
अमेरिका की ईरान पर एयरस्ट्राइक के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है, क्योंकि Strait of Hormuz के जरिए दुनिया के 20% तेल आयात-निर्यात होता है। उस रास्ते सप्लाई बाधित होने का खतरा बढ़ गया है।
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 85% से ज्यादा हिस्सा आयात करता है, इसलिए कच्चे तेल की कीमतों में $10 प्रति बैरल की वृद्धि से चालू खाता घाटा GDP का 0.3% तक बढ़ सकता है और महंगाई पर भी दबाव आ सकता है।
‘रिस्क-ऑफ मोड में हैं बाजार’
मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने कहा, ‘इस वक्त बाजार पूरी तरह रिस्क-ऑफ मोड में हैं। अमेरिकी और एशियाई फ्यूचर्स से आज रात कुछ और क्लैरिटी आ सकती है। एशियाई बाजारों में गैप-डाउन ओपनिंग की आशंका है और फंड्स सेफ-हेवन एसेट्स की ओर जा सकते हैं।”’
ट्रंप ने दी अगली कार्रवाई की चेतावनी
अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर ईरान पर तीन परमाणु साइट्स पर हमला कर दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान ने पलटवार किया तो अमेरिका और भी सख्त सैन्य कार्रवाई करेगा, लेकिन साथ ही उन्होंने तनाव कम करने की अपील भी की है।
$100 के पार जा सकता है क्रूड
Geojit Financial Services के वीके विजयकुमार ने कहा, “बाजार की दिशा पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगी कि ईरान क्या प्रतिक्रिया देता है। अगर ईरान अमेरिकी सेना या संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है, तो अमेरिका का पलटवार तेज हो सकता है और कच्चे तेल की कीमतें $100 प्रति बैरल से ऊपर निकल सकती हैं। लेकिन अगर ईरान सिर्फ प्रतीकात्मक जवाब देता है, तो बाजार शुरुआती गिरावट के बाद रिकवर कर सकता है।”
शुरुआती गिरावट के बाद संभलेगा बाजार?
SBI Securities के सनी अग्रवाल का मानना है, “जब तक ईरान की प्रतिक्रिया बहुत आक्रामक नहीं होती, तब तक बाजार इस जियोपॉलिटिकल शोर से उबर सकते हैं। भले ही शुरुआत में गिरावट हो, लेकिन दिन के अंत तक बाजार फ्लैट या हल्की बढ़त के साथ भी बंद हो सकते हैं।”
तेल की कीमतों पर नजर रखना जरूरी
कोटक महिंद्रा AMC के एमडी नीलेश शाह ने कहा, ‘भारतीय इक्विटी और बॉन्ड बाजार फिलहाल एक ऐसे व्यक्ति की तरह हैं, जिसकी एक टांग ठंडे पानी में है और दूसरी गर्म में।’ उन्होंने कहा, ‘घरेलू फैक्टर्स अभी बाजार वैल्यूएशन को सपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन ग्लोबल फैक्टर्स, ट्रंप की नीति, तेल की कीमत और सप्लाई उबाल पर हैं।’
शाह का कहना है, ‘हमें तेल की कीमतों और उपलब्धता पर करीब से नजर रखने की जरूरत है। फिलहाल हमारे पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, जिससे डबल डिजिट क्रूड प्राइस को हैंडल किया जा सकता है, लेकिन अगर कीमतें तीन अंकों में पहुंचती हैं या सप्लाई रुकती है, तो इसका बाजार पर नकारात्मक असर होगा।’
निवेशकों के लिए एक्सपर्ट की सलाह
शाह का मानना है कि मौजूदा गिरावट लॉन्ग टर्म इनवेस्टर्स को अच्छी क्वॉलिटी के स्टॉक कम कीमत पर खरीदने का मौका दिला सकती है। हालांकि, उन्होंने काफी ज्यादा अस्थिरता के चलते ट्रेडर्स को सतर्क रहने की सलाह दी है।
उन्होंने कहा, “ट्रेडर्स को बेहद सतर्क रहना चाहिए। लेकिन लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स इस गिरावट को खरीदारी के मौके की तरह देख सकते हैं।”
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