
Strait of Hormuz: ईरान के परमाणु साइट्स पर अमेरिकी एयरस्ट्राइक के बाद हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। इसी क्रम में ईरान की संसद ने रविवार को रणनीतिक रूप से बेहद अहम होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकारी चैनल प्रेस टीवी के मुताबिक, यह फैसला ईरान की आर्थिक जवाबी कार्रवाई की मंशा को दिखाता है।
ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की नेवी के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अलीरेजा टांगसीरी (Alireza Tangsiri) ने बयान दिया, “होर्मुज जलडमरूमध्य कुछ ही घंटों में बंद कर दिया जाएगा।” हालांकि यह अंतिम निर्णय नहीं है। इसकी अंतिम मंजूरी ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल देगी, जिसकी अध्यक्षता सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई (Ali Hosseini Khamenei) करते हैं।
हालांकि आधिकारिक आदेश अभी तक जारी नहीं हुआ है, लेकिन ईरान ने दुनिया को यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह वैश्विक तेल आपूर्ति की नब्ज पर हाथ रखता है। आइए जानते हैं कि इस फैसले का कच्चे तेल की कीमत, वैश्विक सप्लाई चेन और भारत के व्यापार पर क्या असर हो सकता है।
होर्मुज जलडमरूमध्य की क्या अहमियत है?
होर्मुज जलडमरूमध्य ओमान और ईरान के बीच स्थित एक संकीर्ण जलमार्ग है, जो पर्शियन गल्फ को अरब सागर से जोड़ता है। इसकी सबसे कम चौड़ाई महज 21 मील है, लेकिन यह वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की लाइफलाइन मानी जाती है। दुनिया का लगभग 20 से 25 प्रतिशत कच्चा तेल यहीं से गुजरता है- लगभग 2 करोड़ बैरल प्रतिदिन।
2023 के आंकड़ों के अनुसार, हर दिन 1.7 करोड़ बैरल तेल इस रास्ते से गुजरता है। इसमें सऊदी अरब, यूएई, इराक, कुवैत और कतर जैसे प्रमुख उत्पादकों का तेल शामिल है। साथ ही कतर की LNG और ईरान का खुद का तेल भी इसी मार्ग से बाहर जाता है। कुछ वैकल्पिक पाइपलाइनों की व्यवस्था है, लेकिन उनकी कुल क्षमता सिर्फ 26 लाख बैरल प्रतिदिन की है।
बंदी के क्या हो सकते हैं वैश्विक प्रभाव?
1. तेल की कीमतों में उछाल: अगर होर्मुज जलडमरूमध्य बंद किया गया तो वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति पर सीधा असर पड़ेगा। इससे कीमतें $120–150 प्रति बैरल के पार जा सकती हैं। ब्रेंट क्रूड पहले ही $90 और WTI $87 प्रति बैरल के ऊपर पहुंच चुका है।
2. वैश्विक व्यापार बाधित होगा: यह जलमार्ग सिर्फ तेल के लिए नहीं, बल्कि खाड़ी देशों के समग्र व्यापार के लिए भी अहम है। इसकी बंदी से समुद्री कार्गो मार्ग रुक जाएंगे, शिपमेंट्स में देरी होगी और ग्लोबल शिपिंग कॉस्ट बढ़ेगी। वैकल्पिक रूट लंबा और महंगा साबित होगा।
3. एशिया और यूरोप में ऊर्जा संकट: भारत अपनी 60% से अधिक क्रूड जरूरत खाड़ी देशों से पूरी करता है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल महंगा होगा, महंगाई बढ़ेगी और आर्थिक दबाव गहरा सकता है। यूरोप पहले से यूक्रेन युद्ध के चलते LNG संकट में है, और कतर से LNG आपूर्ति ठप पड़ने पर उसकी स्थिति और खराब हो सकती है।
4. वैश्विक बाजारों में घबराहट: ऊर्जा संकट, मुद्रास्फीति और आपूर्ति में रुकावट से वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट आ सकती है। खासकर एयरलाइंस, शिपिंग और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर असर पड़ेगा। कई देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं या मार्केट में लिक्विडिटी डाल सकते हैं।
5. सैन्य तनाव बढ़ेगा: होर्मुज जलडमरूमध्य की सुरक्षा के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और खाड़ी देशों की नौसेनाएं पहले से मौजूद हैं। रूट को खुले रखने के लिए सैन्य कार्रवाई या एस्कॉर्ट मिशन संभव हैं।
भारत के लिए कितना गंभीर है खतरा?
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 85% हिस्सा आयात करता है और इसमें 60% से अधिक हिस्सा खाड़ी देशों से आता है। होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने की स्थिति में भारत को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। घरेलू पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल, ट्रांसपोर्ट कॉस्ट में वृद्धि और समग्र महंगाई में तेज बढ़त की आशंका है।
कतर, इराक और यूएई से आने वाली LNG और क्रूड शिपमेंट में देरी या रीरूटिंग की वजह से शिपिंग व इंश्योरेंस कॉस्ट भी बढ़ेगी। साथ ही भारत की मध्य पूर्व के साथ होने वाली समुद्री व्यापारिक गतिविधियों पर भी असर पड़ेगा।
क्या ईरान को खुद नुकसान नहीं होगा?
होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करना ईरान के लिए भी आर्थिक आत्मघात जैसा हो सकता है। ईरान की बड़ी मात्रा में तेल बिक्री- चाहे वैध हो या प्रतिबंधों के बीच चोरी-छिपे- वो सब इसी रूट से होती है। इस रास्ते को बंद करने का मतलब है खुद की आमदनी रोकना।
इसके अलावा, अमेरिका और सहयोगी देशों की सैन्य प्रतिक्रिया की भी पूरी संभावना है। चीन जैसे मित्र राष्ट्र भी इस कदम का समर्थन करने से हिचक सकते हैं। नतीजा यह होगा कि ईरान और ज्यादा राजनयिक और आर्थिक अलगाव में चला जाएगा।