
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना गया है। ज्येष्ठ मास में आने वाली विनायक चतुर्थी का व्रत उनके भक्तों के लिए बेहद खास होता है। ये दिन विशेष रूप से उन माताओं के लिए महत्त्वपूर्ण होता है, जो संतान की प्राप्ति, उसकी लंबी उम्र और जीवन में सुख-शांति की कामना करती हैं। ये व्रत श्रद्धा, आस्था और संकल्प का प्रतीक होता है, जिसमें भगवान गणेश और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर गणपति को तिल के लड्डू, दूर्वा, पीला चंदन आदि अर्पित करते हैं।
उनसे जीवन में आने वाले विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। इस वर्ष ये शुभ व्रत 30 मई 2025 को मनाया जाएगा, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और पुण्य लाभ का सुनहरा अवसर लेकर आएगा।
कब है ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी?
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 29 मई को रात 11:18 बजे से शुरू होकर 30 मई को रात 9:22 बजे तक रहेगी। उदया तिथि 30 मई होने के कारण इसी दिन व्रत रखा जाएगा।
इस दिन चंद्रोदय का समय सुबह 8:16 बजे है। चंद्रमा दर्शन और पूजन इस व्रत का प्रमुख अंग होता है।
पूजा विधि:
सबसे पहले गणेश जी का जल से अभिषेक करें।
उन्हें पीले चंदन, पुष्प और फल अर्पित करें।
तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी की कथा का श्रवण या पाठ करें।
“ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें।
श्रद्धापूर्वक गणेश जी की आरती करें।
चंद्रमा के दर्शन करके उन्हें अर्घ्य दें।
व्रत का विधिवत पारण करें और क्षमा प्रार्थना करें।
मिलेगा ऋण मुक्ति और संतान सुख
इस दिन 21 दूर्वा की गांठें गणेश जी के मस्तक पर चढ़ाना विशेष फलदायी माना जाता है। साथ ही ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
व्रत पारण की सही विधि
विनायक चतुर्थी के अगले दिन भी सात्विक भोजन या फलाहार ही ग्रहण करें। तामसिक भोजन से परहेज करें। पारण से पहले चंद्रमा की पूजा कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।